दिल्ली और पंजाब के बाद विस्तार की ओर देख रही आम आदमी पार्टी को अब गुजरात से ही उम्मीद नजर आ रही है। खबर है कि एक के बाद एक मिल रहे झटकों के चलते पार्टी का हिमाचल प्रदेश में प्लान फेल होता दिख रहा है।
इसके संकेत राष्ट्रीय संयोजक और दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल की सियासी चहलकदमी से भी मिल रहे हैं। उन्होंने पहाड़ी राज्य में गतिविधियां कम कर दी हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पार्टी हलकों में ऐसी धारणा बन गई है कि केजरीवाल समेत शीर्ष नेतृत्व ने हिमाचल पर कोशिशें छोड़ दी हैं। साथ ही पार्टी अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृहराज्य गुजरात में ताकत झोंक रही हैं। फिलहाल, राज्य में भारतीय जनता पार्टी की सरकार है और कांग्रेस भी दम भर रही है। अब राज्य का सियासी इतिहास कहता है कि बीते कई दशकों से यहां एक पार्टी दोबारा सत्ता में नहीं लौटी।
हिमाचल की तारीखें आने के बावजूद केजरीवाल गुजरात पहुंचे
भारत निर्वाचन आयोग ने हिमाचल प्रदेश में 12 नवंबर को विधानसभा चुनाव कराने का फैसला किया है। जबकि, गुजरात की तारीखें सामने नहीं आई हैं। इसके बाद भी 16 अक्टूबर यानी रविवार को केजरीवाल भावनगर में गरजे। इतना ही ननहीं पंजाब के कई मंत्री और विधायक गुजरात में ही देखे जा रहे हैं।
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, उनमें से कुछ का कहना है कि वे भी यह समझ नहीं पा रहे हैं कि उन्हें पड़ोसी हिमाचल में क्यों नहीं भेजा जा रहा है। इसके बजाय उन्हें अलग सांस्कृतिक माहौल वाले राज्य में भेजा जा रहा है, जहां भाषा भी उनके लिए चुनौती बन रही है। आप के एक नेता ने कहा, ’25 जुलाई को केजरीवाल और मान के वर्चुअल रैली को संबोधित करने के बाद केजरीवाल पहाड़ी राज्य में नजर नहीं आए हैं। पार्टी इकाई को अपने आप पर छोड़ दिया है।’
एक के बाद एक झटके
हिमाचल प्रदेश में आप की तैयारियों काफी पहले ही शुरू हो गई थीं। मार्च में ही आप ने केजरीवाल के करीबी कहे जाने वाले दुर्गेश पाठक को राज्य का प्रभारी बनाया। इसके बाद पार्टी को पहला झटका अप्रैल में लगा। तत्कालीन पार्टी प्रमुख अनूप केसरी, सतीश ठाकुर और इकबाल सिंह जैसे दिग्गज नेताओं के साथ भाजपा में चले गए। खास बात है कि नेताओं के दल बदलने से दो दिन पहले ही केजरीवाल और मान ने मंडी में ‘तिरंगा यात्रा’ की थी।
इसके बाद दिल्ली में मंत्री सत्येंद्र जैन को प्रवर्तन निदेशालय यानी ED ने कथित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार कर लिया। 14 अक्टूबर को आप ने पंजाब कैबिनेट मंत्री हरजोत बैंस को राज्य का प्रभारी बनाया। जबकि, राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा गुजरात के सह प्रभारी बनाए गए थे।