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Sandwich खाकर बच्ची की गई याद्दाश्त, डॉक्टर्स का भी सूख गया खून

हाल में एक 9 साल की बच्ची के साथ सैंडविच खाने पर जो हुआ वह हैरान करने वाला था. दरअसल इस बच्ची को किसी चीज से कोई एलर्जी नहीं थी, इसके बावजूद एक मामूली सैंडविच खाने से वह लगभग मौत के मुंह में पहुंच गई.

दुकान से खरीदा था बेकन-और-अंडे का सैंडविच

ये ऑस्ट्रेलियाई बच्ची अपने नाश्ते के सैंडविच में छिपे खतरे के कारण बुरे हाल में पहुंच गई. इससे उसे सीवियर इंफेक्शन और न्यूरोलॉजिकल डैमेज हुआ. बच्ची की मां क्रिस्टन सॉन्डर्स ने एबीसी न्यूकैसल को बताया, ” यह अजीब दुर्घटना जुलाई में घटी जब लड़की ने अपने होमटाउन न्यूकैसल, न्यू साउथ वेल्स में एक दुकान से बेकन-और-अंडे का सैंडविच खरीदा था.”

‘खाते हुए दम घुटा तो हमने पीठ थपथपा दी’

सॉन्डर्स याद करते हुए कहती हैं कि मेरी बेटी ये खा रही थी, तभी अचानक उसका दम घुटने लगा. हमें लगा बस ये सैंडविच थोड़ा गले में अटक गया होगा. हमने उसकी पीठ थपथपाई और पानी पिला दिया और कहा कि सब ठीक हो जाएगा. सॉन्डर्स ने कहा, इसके बाद उसे गले में खराश और खाना निगलने में कठिनाई होने लगी और धीरे- धीरे उसकी हालत बिगड़ने लगी. फिर एक दिन घर पर हमने नोटिस किया कि मेरी बेटी साधारण बात का जवाब देने में भी कंफ्यूज हो रही है.

 

बच्ची को ऐसे देख घबराए माता-पिता ने डॉक्टर को बुलाया. डॉक्टर ने जांच के बाद उसे तुरंत इमरजेंसी वार्ड में शिफ्ट किया. हालांकि, जब तक डॉक्टर पहुंचे थे तबतक बच्ची की हालत इतनी खराब हो गई थी कि वह लड़खड़ा रही थी. साथ ही बच्ची याद्दाश्त खो रही थी और परिवार को पहचान नहीं रही थी.

दिमाग में फोड़े और गले के अंदर तार

याहू न्यूज ऑस्ट्रेलिया की रिपोर्ट के अनुसार, डॉक्टरों ने बाद में बताया कि उसके दिमाग में फोड़े हैं. डॉक्टरों ने आखिरी मिनट में सीटी स्कैन किया, जिसमें भयावह चीज सामने आई . दरअसल बच्ची की गर्दन में जो दिखा उससे डॉक्टर हैरान रह गए. उन्हें गले में एक बाल जितना पतला तार मिला. ये एक बारबीक्यू ब्रश का टुकड़ा था. जो सैंडविच के अंदर होने के चलते बच्ची के शरीर में चला गया था.

बड़ा रिस्क लेकर हुआ ऑपरेशन

कथित तौर पर इसने उसकी esophagus (अन्नप्रणाली) को छेद दिया था और कैरोटिड आर्टरी में अपना रास्ता बना लिया था. इसके चलते भयंकर इंफेक्शन हो गया था. इसे ठीक करने के लिए डॉक्टरों को आर्टरी को बदलने, उसके दिमाग पर मौजूद फोड़ों को निकालने और अन्य प्रक्रियाओं की आवश्यकता हुई जिसमें बच्ची की जान भी जा सकती थी. हालांकि, शुक्र है कि बच्ची का ऑपरेशन सफल रहा, जिसके बाद वह एक महीने तक अस्पताल में रही और आखिरकार ठीक होकर घर गई.

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