पंजाब (Punjab) में सरकार किसकी बनेगी? यह तो 10 मार्च को पता चल ही जाएगा, लेकिन चुनाव प्रचार के आखिरी दिनों में जिस तरह से आतंकवाद और खालिस्तान (Terrorism and Khalistan) का जिन्न बोतल से बाहर आया, उससे आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) को नुकसान होना तो तय माना जा रहा है. यह नुकसान कितना होगा, इसका आकलन कठिन है लेकिन आप के इस नुकसान से कांग्रेस, भाजपा और शिअद (Congress, BJP and SAD) को फायदा मिल सकता है.
सिख भाई भारा, जिसमें सभी मजहबों के लोग हैं, उन्होंने आतंकवाद के काले दौर को अपनी आंखों से देखा है. जब भी इस दौर का बड़े पैमाने पर जिक्र आता है तो यादें सिरहन पैदा करने लगती हैं. चुनाव प्रचार की शुरुआत में पंजाब में AAP की हवा बहुत मजबूत थी, जिसे भी पूछा जाता था वह यही कहता था कि झाड़ू का जोर है. हालांकि चुनाव समाप्त होने से ठीक पहले आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल के करीबी रहे कवि कुमार विश्वास ने जो आतंकियों से साठगांठ के उनपर आरोप लगाए, उससे चुनाव प्रचार की हवा ही बदल गई.
आतंकवाद की जब भी बात आती है तो पंजाब में सभी लोग खासकर हिंदू समुदाय के लोग सबसे असुरक्षित महसूस करते हैं. जिसका काफी फायदा भाजपा को मिलता रहा है. साल 2017 के विधानसभा चुनाव में भी जब चरमपंथ और खालिस्तान को लेकर पंजाब की राजनीति का गरमाई, तो चुनाव प्रचार में जमीनी स्तर पर सबसे मबजूत दिखने वाली आम आदमी पार्टी को हार क सामना करना पड़ा था.
जानकार कहते हैं कि 2017 के विधानसभा चुनाव के वक्त केजरीवाल ने 2 बड़ी गलतियां की थी पहला कि वह गुरिंदर सिंह के यहां रुके, दूसरा, उन्होंने सीएम पद का कोई चेहरा घोषित नहीं किया. इन दोनों घटनाओं से लोगों में गलत संदेश गया और उनको चुनाव में काफी नुकसान उठाना पड़ा था.
कुमार विश्वास के बयान को लेकर पीएम मोदी ने मंच से कहा था कि ये लोग पंजाब को तोड़ने का सपना पाले हुए हैं. ये लोग सत्ता के लिए अलगाववादियों से हाथ मिलाने को तैयार हैं. सत्ता पाने के लिए इन लोगों को अगर देश भी तोड़ना पड़े तो ये उसके लिए तैयार हैं.

