गोपाल कांडा की एयरलाइंस कंपनी एमडीएलआर में वैसे तो कर्मचारियों की नियुक्ति के समय पूरी छानबीन होती थी, लेकिन कहा जाता है कि गीतिका शर्मा इकलौती ऐसी कर्मचारी थी, जिसकी कोई छानबीन नहीं हुई. उसके लिए इस सवाल का भी कोई महत्व नहीं था कि उसने ग्रेजुएशन भी की है या नहीं.
यह स्थिति उस समय है जब क्रू मेंबर और इससे ऊपर के सभी के पदों पर भर्ती की न्यूनतम योग्यता ग्रेजुएशन था. गीतिका शर्मा जब गोपाल कांडा की कंपनी में इंटरव्यू के लिए आई, उस समय उसका सीनियर सेकेंड्री भी कंपलीट नहीं था.
उस समय वह 12वीं की परीक्षा देने के बाद रिजल्ट का इंतजार कर रही थी. कहा तो यह भी जाता है कि वह गुड़गांव बस अड्डे से पैदल चलकर के सिविल लाइंस स्थित ऑफिस पहुंची थी, लेकिन इंटरव्यू के बाद गोपाल कांडा ने उसे अपनी गाड़ी से घर छुड़वाया था. पुलिस सूत्रों के मुताबिक गीतिका एयर होस्टेस बनना चाहती थी, लेकिन चूंकि उसका ग्रेजुएशन कंपलीट नहीं था और उम्र भी 18 साल से कम था. इसलिए कांडा ने उसे सुझाव दिया कि बालिग होने तक वह बतौर क्रू मेंबर काम करे. इससे उसे हवाई जहाज में चढ़ने और एयरहोस्टेस के काम को समझने का अवसर मिलेगा.
इसपर गीतिका तैयार हो गई और उसने तत्काल ज्वाइन भी कर लिया. इसके बाद गोपाल कांडा के ही कहने पर गीतिका ने एयर होस्टेस का कोर्स भी किया.इसमें आने वाला पूरा खर्च खुद गोपाल कांडा ने ही उठाया था. पुलिस सूत्रों के मुताबिक उन दिनों गीतिका शर्मा के परिवार की माली हालत ठीक नहीं थी. वह चाहती थी कि अपने परिवार का संबल बने. उसने अपनी इच्छा गोपाल कांडा के सामने जाहिर की तो गोपाल कांडा ने उसके परिवार का भी पूरा खर्च उठा लिया था.